दिल्ली के वजीराबाद का किला व पुल का इतिहास (History of Fort and Bridge of Delhi's Wazirabad)

क्या आपको पता है? दिल्ली के वजीराबाद के पुल का निर्माण 14 शताब्दी के आसपास तुगलक  शासक ने कराया।।  क्या आप जानते हैं? दिल्ली के वजीराबाद पुल का भी एक अपना अलग इतिहास रहा है! और दिल्ली के वजीराबाद में स्थित किले का भी इतिहास कई वर्षों पुराना है! क्या आप जानते हो? दिल्ली के वजीराबाद के किले और पुल क्या इतिहास है?तो चलिये जानते दिल्ली के वजीराबाद के किला  और पुल के इतिहास के बारे में :-

दिल्ली के वजीराबाद का किला जिसको 14 वी शताब्दी मे बनाया गया
वजीराबाद का किला

यह कहां पर है

यह भारत की राजधानी दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे वजीराबाद पर स्थित है। 

इस किले के बारे मे 

वजीराबाद के इस किले के बारे मे कहा जाता है यहा करीब 800 साल पुराना किला है जिसको यमुना नदी के किनारे बनाया गया था। यहा किला आजकल बंद किया हुआ है और इसको  भारतीय पुरात्व विभाग ने  अपने अधिकार मे लिया हुआ है जो इसकी देखभाल करता है। इस किले को तुगलक वंश ने बनवाया  था। 


इस वजीराबाद किले का इतिहास


इसका इतिहास करीब 800 साल पुराना और 14वी शताब्दी के आसपास माना जाता है।  ऐसा कहा जाता है कि फिरोजशाह तुगलक के समय फिरोजशाह तुगलक का वजीर अपने घोड़े को पानी पिलाने और यहां आराम करने के लिए आया करते थे जिसके कारण उन्होंने यहां पर आरामगाह और 9 मेहराबदार का एक पुल बनवाया। इस आरामगाह को ही वजीराबाद का किला कहा जाता हैऔर इसी के अंदर एक मस्जिद भी बनी हुई है। 

वहां पर लिखे लेख के अनुसार
संत शाह आलम का मकबरा परिसर है जिसको फिरोजशाह तुगलक के शासन काल द्वारा बनाया गया था प्रमुख स्मारक एक मस्जिद है जिसे आयताकार रूप में योजनाबद्ध किया गया है और इसमें 5 नुकीले मेहराब के साथ धोखा ही गहरी प्रार्थना कक्ष है पीछे की खाड़ी के साथ ऊपर की ओर तीन गुंबद है महिला भक्तों के उपयोग के लिए पत्थर की जाली और खंभों से युक्त एक छोटा कक्ष रखा गया है.

शाह आलम का मकबरा मस्जिद के संलग्न प्रांगण के मध्य में स्थित है। मकबरे को चौकोर आकार में बनाने की योजना बनाई गई है और कब्र को एक उठे हुए चबूतरे के ऊपर रखा गया है। मकबरे के किनारों पर बारह स्तंभ स्थित हैं जो शीर्ष पर घरेलू छत का समर्थन करते हैं। मकबरे के किनारों को मूल रूप से छिद्रित जालियों से जांचा गया था, उनमें से कुछ जीवित हैं।


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इस किले का रंग-रूप आकार व निर्माण


यह आरामगाह आज भी वैसा ही है जैसे फिरोजशाह के समय हुआ करता था। इस आरामगाह का निर्माण बाकी ऐतिहासिक इमारत के समान बलुआ पत्थर से किया गया है। इस किले के अंदर नवाज के लिए एक मस्जिद बनाई गई और आराम करने के लिए कई कक्ष बने हुए है। इन कक्ष के छत बाकी मकबरे और मस्जिद की छत गुंबद के  आकार मे बनी हुई है। 

1. वजीराबाद का पुल


                                                                        

जैसा के ऊपर बताया गया है की फिरोजशाह तुगलक के समय उनका वजीर  अपने घोड़े को यहां पर पानी पिलाने और आराम  करने आया करता था उसी अनुसार उन्होंने यहां पर 9 मेहराब के रूप में एक पुल का निर्माण कराया जो तब वहां के नाले के पानी को रोकने के लिए बनाया गया था और इसका विस्तार उत्तर की तरफ फाटकयुक्त बांध के रूप में हैं। इस पुल को दिल्ली का सबसे पुराना पुल माना जाता है। रचनात्मक दृष्टि से यह पुल 9 मेहराबो व स्तम्भावली पर आधारित है और अनगढे  पत्थरों के प्रयोग से बना हुआ है। यह पुल लगभग 6 शताब्दियों से लगातार प्रयोग में हैं।

कई शासक इस पुल के द्वारा ही दिल्ली में प्रवेश करते थे और यह दिल्ली का सबसे पुराना पुल कहा जाता है।


2. वजीराबाद का गांव

फिरोजशाह तुगलक का वजीर यहां पर लगातार आया करता था और उन्होंने ने ही यहां पर एक गांव बसाया जिसका नाम वजीराबाद रखा गया। आज के समय में धीरे-धीरे यह एक नगर की ओर विकसित होता गया है।





यहां के आसपास की मशहूर जगह

इसके आसपास कई ऐसी जगह है जहां पर आप इसके यहां की जगह घूम सकते हो और आनंद ले सकते हैं।

1. दिल्ली का सिगनेचर ब्रिज

Signature Bridge
वर्तमान समय में दिल्ली का सिगनेचर ब्रिज हो गया है और यह भी बाकी जगह की तरह एक पर्यटन स्थल के रूप में माना जाता है यह सिगचर ब्रिज पूरे दिल्ली में एक ही है और शायद उत्तर भारत में यह पहला ऐसा सिग्नेचर ब्रिज होगा जो नदी के ऊपर सबसे ऊंचा बनाया गया है।

2. जमुना नदी

Yamuna River

नदियों में से सबसे एक प्रसिद्ध नदी एक यमुना नदी है जो उत्तराखंड के यमुनोत्री से लेकर इलाहाबाद के गंगा में समाती है यह नदी वजीराबाद से होकर गुजरती है। यहां पर काफी लोग स्नान करने के लिए आते हैं और यहां पर हर साल दिवाली के एक हफ्ते बाद छठ पूजा के दिन काफी श्रद्धालु मां यमुना पूजा करने के लिए आते हैं।

3. मजनू टिल्ला का गुरद्वारा



वजीराबाद से थोड़ी ही दूर सिखों का गुरुद्वारा भी है जो कि काफी प्रसिद्ध और ऐतिहासिक माना जाता है। कहा जाता है कि सिकन्दर लोधी के समय यहाँ पर सिख धर्म के श्री गरु नानक देव जी यहाँ आये थे।  इनके अलावा काफी सिख धर्म के गुरु यहाँ पर आये है| इस गुरूद्वारे में काफी श्रदालु दूर दूर से यहाँ पर आते है। 



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