गाजीपुर का इतिहास (History of Ghazipur)

 



 गाजीपुर

गाजीपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी हिस्से का एक जिला है जो कि गंगा नदी के किनारे पर स्थित है यह 3377sq km2  के क्षेत्रफल में फैला हुआ है इसका घनत्व 1072 है। गाजीपुर जिले की कुल आबादी 36,22,727 है जिसमें शहरी आबादी 2,73,872 व ग्रामीण आबादी 33,48,855 है इसमें ग्रामीण आबादी की औसत 73.62% में शहरी आबादी की औसत 82.05% है यह बनारस से 70 किलोमीटर पूर्व में स्थित है यह नगर उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बहुत समीप स्थित है इसलिए यहां की स्थानीय भाषा भोजपुरी व  हिंदी है।

इसका गठन वाराणसी को अलग करके सन 1818 में किया गया था

गाजीपुर का इतिहास

प्राचीन काल

गाजीपुर शब्द प्राचीन भारतीय इतिहास में नहीं है, लेकिन कुछ इतिहासकारों के अनुसार राजा गढी  महारसी  जमदग्री   के पिता थे। उस अवधि के दौरान इस जगह को घने जंगलों से ढका हुआ था और इसमें कई आश्रम थे जैसे मदग्री (परशुराम के पिता) आश्रम, पारसूम आश्रम, मदन वैन आदि। महर्षि गौतम के आश्रम गाजीपुर शहर के करीब 16 किलोमीटर दूर थे । गांव गौसपुर के आसपास पूर्व सारनाथ,  जो भगवान बुद्ध ने 6 वी शताब्दी में बौद्धिक ज्ञान प्राप्त किया था। यह गाजीपुर जिले से 65 किलोमीटर दूर है। इस प्रकार यह अपने समय के दौरान बुुद्ध के उपदेश का केंद्र बन गया। यह शहर  बौद्ध काल के दौरान एक महत्वपूर्ण केंद्र था। चीनी यात्री ह्यूएन सत्संग ने इस इलाके का उल्लेख "चंचू" के रूप में किया है जिसका अर्थ युद्ध क्षेत्रों की मिट्टी है, जो कि यहां पर लड़े हुए कई महत्वपूर्ण लड़ाई ओर से संकेत मिलता है।

मध्यकालीन

मध्यकालीन इतिहास के अनुसार गाजीपुर जिला मुगल काल के शासन के समय शानदार इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। इतिहासकारों के अनुसार इस जगह का नाम तुगलक वंश के शासन काल में सैयद मसूद गाजी द्वारा पड़ा क्योंकि उसने गाजीपुर की 1330 ईसवी मे स्थापना की थी। ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक गाजीपुर के  पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा मांधाता का गढ़ था। राजा मांधाता दिल्ली सुल्तान की अधीनता को अस्वीकार कर स्वतंत्र रूप से शासन कर रहा था दिल्ली के तुगलक वंश के सुल्तान को इस बात की सूचना दी गई जिसके बाद मोहम्मद बिन तुगलक के सिपहसालार सैयद मसूद अल हुसैनी ने सेना की टुकड़ी के साथ राजा मांधाता के गढ़ पर हमला कर दिया। इस युद्ध में राजा मांधाता की पराजय हुई जिसके बाद मृत राजा की संपत्ति का उत्तराधिकारी सैयद मसूद अल हुसैनी को बना दिया गया। इस जंग में जीत के बाद दिल्ली सुल्तान की ओर से सैयद मसूद अल हुसैनी को मलिक-अल-सादात-गाजी उपाधि से नवाजा गया जिसके बाद सैयद मसूद गाजी ने कठआउट के बगल में गौसपुर को अपना गढ़़ बनाया।


अंग्रेजों के शासन काल

अंग्रेजों के शासन काल में भी यह गाजीपुर की भूमि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। औरंगजेब की मृत्यु के बाद यह क्षेत्र जाम धर्म आंसर राम ने लिया था इसके बाद गाजीपुर बनारस राज्य के राजत्व और राजा बलवंत सिंह के अधीन आया मांनसा राम का पुत्र गाजीपुर का राजा बन गया फिर अंग्रेजों के शासन काल के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के हमले के बाद क्षेत्र विभिन्न राज्य ब्रिटिश शासन लार्ड  कॉर्नवाॅलिस , जो  भूमि के सुधार के लिए प्रसिद्ध थे इसी स्थान पर आए आकस्मिकता मर गया और वहीं पर दफन है जिसको अब आकर्षित सुंदर कब्र स्थान बना दिया गया है।



                                     लार्ड  कॉर्नवाॅलिस

सन 1820 में स्थापित एशिया में सबसे बड़े अफीम के कारखाने के लिए यह प्रख्यात है जो अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था

स्वतंत्रता संग्राम

गाजीपुर के लोगों ने स्वतंत्र संग्राम के लिए भी काफी योगदान दिया है सन 1942 में जब रोलेट अधिनियम कानून आया उस कानून के खिलाफ  यहां के लोगों ने सत्याग्रह और आंदोलन  में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेकर गौरवान्वित हुए। जिसमें से कुछ डॉक्टर शिवपुजान राय, वन नारायण राय, राजा नारायण राय और वशिष्ठ नारायण राय ने 18 अगस्त 1942 को देश के लिए अपना जीवन बलिदान किया।


यहां के लोगों में से कुछ ने सन 1999 पाकिस्तान खिलाफ कारगिल के युद्ध में भी जीत के लिए बहादुरी दिखाई जिसमें बिग्रे  उस्मान, परमवीर चक्र पुरस्कार विजेता वीर अब्दुल हमीद, राम उगरा  पांडे है।


प्रसिद्ध स्थान 

गंगा घाट

गाजीपुर शहर के पास ही गंगा घाट है जो कि गाजीपुर के  सिधौना क्षेत्र से गोमती नदी का संगम करते हुए जिले में प्रवेश करती है। यहां पर कई तरह की गंगा घाट है जिनमें प्रमुख है राम जानकी घाट रामेश्वर घाट महादेव घाट तथा मुख्य रूप से सिकंदरपुर घाट जो कर कंडा परगना में प्रचलित घाटों में शामिल है अंत इसे 'लहुरी काशी' भी कहते हैं।




चकेरी धाम

गाजीपुर में एक प्रसिद्ध धाम मंदिर चकेरी धाम है जो सैदपुर से 10 किलोमीटर पूर्व की दिशा में गंगा किनारे बसा है इस मंदिर की स्थापना काशी के राजा ने सैकड़ों साल पहले कराई थी मंदिर के पश्चिम दिशा में राजा की नील और चूने के कारखाने टूटी अवस्था में आज भी विद्वान है पास में आधिकारिक आवास भी मौजूद है।




कामाख्या धाम मंदिर

यह शहर  से 40 किलोमीटर दूर गहमर पुलिस स्टेशन के तहत देवी मां कामाख्या का मंदिर है यह मंदिर गदाईपुर गांव में स्थित है। यह अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है रामनवमी के समय बहुत भीड़ रहती है। यह जिले का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है



महाहर धाम

यह शहर  से 30 किलोमीटर दूर कासिमाबाद क्षेत्र में स्थित शहर का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है माना जाता कि महाशिवरात्रि के दिन काशी विश्वनाथ यहां पदार्थ है और निकट स्थित कुंड में स्नान करते हैं। यहां पर महाशिवरात्रि वाले दिन काफी भीड़ रहती है।




गाजीपुर में एकमात्र नेहरू स्टेडियम भी है जिसका नाम भारत के प्रधानमंत्री के नाम पर पड़ा है और एक रामलीला मैदान है जो शहर के बीच में स्थित है जहां पर रामलीला होती है तथा जनसभाएं प्रदर्शनी इत्यादि भी से मैदान में होते हैं इसके किनारे एक तालाब भी है

गाजीपुर में काफी अध्यात्मिक आश्रम भी है


गाजीपुर में एक गांव गहमर पूरे देश का सबसे बड़ा गांव है इस गांव से हर घर से एक युवा भारतीय सेना में शामिल होता है इसलिए गाजीपुर जिले को वीरों की धरती भी कहा जाता है।

गाजीपुर के लिए आप हवाई जहाज रेल मार्ग, बस मार्ग और अपने साधन से जा सकते हैं। गाजीपुर शहर पहुंचने के बाद आप इन बाकी सभी जगह बस ऑटो और अपने साधन या रेल मार्ग के द्वारा भी जा सकते हैं





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