तुगलकाबाद किला व मकबरा का इतिहास(History of Tughlaqabad Fort and Tomb)

क्या आप जानते हैं? तुगलकाबाद किला का क्या इतिहास है? क्या आपको पता है? इस किले को  मध्यकाल मे दिल्ली का तीसरा शहर भी कहा जाता था! जो कि अब खंडहर के रूप में विकसित व लोगों के लिए पर्यटन स्थल बना हुआ है। क्या आपको पता है किसने इस किले का निर्माण करवाया था? क्या आप जानते हैं इस किले को श्रापित किला भी कहा जाता है? इस किले को किसने श्राप दिया था? इस किले के सामने ही किसका मकबरा है और उसको किसने बनवाया था? तो चलिए जानते हैं इन सभी सवालों का जवाबः-



यह कहांं पर है।

 यह भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी हिस्से में तुगलकाबाद में पड़ता है जोकी बदरपुर और महरौली रोड (MB road) पर स्थित है।

किले व मकबरे का इतिहास

तुगलकाबाद का किला तीसरे शहर के रूप मे 


दिल्ली को वैसे तो कई शासकों ने कई बार उजाड़ा है और फिर उसी  को दिल्ली के शासक ने अपने अपने शासनकाल के दौरान दिल्ली को फिर से बसाया है। इसी तरह दिल्ली का मध्यकाल में उजाड़कर दिल्ली का तुगलकाबाद किला व मकबरे के रूप में ग्यासुद्दीन तुगलक द्वारा दोबारा बसाना हुआ और उस समय  इसको दिल्ली का तीसरा शहर  कहा जाता था।

1. तुगलकाबाद किला

दिल्ली के दक्षिणी हिस्से के  तुगलकाबाद मे ही   तुगलकाबाद  किला के नाम से यह  प्रसिद्ध  किला है जो कि मध्यकालीन में  दिल्ली के तीसरे शहर के रूप में स्थापित हुआ था। यह किला एक चट्टानी सतह पर  स्थित है। इसको मुख्यत: तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं:-
i) पहला भाग दुर्ग के रूप में है जो ऊंची प्राचीरोबुर्जो  की तरह से घिरा हुआ है।
ii) दूसरा पश्चिमी दिशा में स्थित महल क्षेत्र है जो अनगढे पत्थरो की दीवारों से घिरा हुआ है।
iii) तीसरा भाग उत्तरी दिशा में स्थित है जो क्षेत्र शहर के रूप में स्थित था जहां अब भवनों के खंडहरो के अवशेष रह गए हैं। 

इस किले का निर्माण

तुगलकाबाद किले का निर्माण मध्यकालीन में सन 1321-25 में करवाया गया था। इस किले का निर्माण मुख्य दो उद्देश्य की पूर्ति के लिए करवाया गया था जिसमें पहली सुरक्षा की दृष्टि से व दूसरी दिल्ली के तीसरे शहर की राजधानी के रूप में करवाया गया था। इसका विकास एक प्राचीन युग शहरों के रूप में किया गया था जिसमें ऊंची प्राचीरदुमंजिले बुर्जप्रवेश महल, मस्जिद आदि शामिल हैं। इस किले के दिवार का निर्माण 9 से 15.2 मीटर की ऊचाई के रुप मे किया गया(मंंगोल के आक्रमण को ध्यान मे रखकर) । इस किले का निर्माण लाल , अनगढे पत्थर व अन्य बलुआ पत्थरो के द्वारा किया गया है।

                                                                            गोल आकृति मे बुर्ज 


इसका निर्माण किसने करवाया

गाजी मलिक या तुगलक गाजी वह व्यक्ति था जो खिलजी वंश के काल में गवर्नर के रूप में कार्यरत था जोकि बाद में  खुसरो ने आक्रमण करके खिलजी वंश के शासन को समाप्त किया इसके बाद ही तुगलक गाजी ने खुसरो को पराजित करके दिल्ली पर 17 वा सुल्तान बनकर और गयासुद्दीन तुगलक के रूप में उपाधि ग्रहण करके तुगलक वंश की स्थापना की। इसके बाद  गयासुद्दीन  तुगलक ने अपनी और लोगों की  सुरक्षा व  के लिए सन 1321 में इस किले का निर्माण करवाया और शहर के रूप में इसको बसाया। इसके साथ ही इसने अपना एक नगर भी बसाया जिसको तुगलकाबाद  कहा जाता है।

इस किले को श्राप(श्रापित किला) कहा जाता है


इस किले को श्रापित किला भी कहा जाता है।कहा जाता है कि सतं शेख निजामुद्दीन (हजरत निजामुद्दीन का इतिहास पढे ) के समय में जब बावली  का निर्माण कार्य चल रहा था तब उस समय तुगलक किला का भी निर्माण चल रहा था और गयासुद्दीन तुगलक ने अपने सैनिक से यहां पर निर्माण करने से रोक दिया था और बोले की पहले किला का निर्माण होगा व अपने सैनिक द्वारा वहां कारीगर को भी वापस बुला लिया था और साथ ही कुछ भी  सामग्री देने के लिए भी मना कर दिया था। तो उन्होंने गयासुददीन को  श्राप दिया कि "या रहे उजाड़ या बसे गुर्जर"  और भविष्यवाणी कि तुम्हारे द्वारा बसाया गया शहर उजड़ जाएगा या खाली रह जाएगा और गुर्जरों द्वारा बसाया जाएगा। इनके द्वारा दिए गए श्राप के कुछ वर्षों बाद ही उनका किला उजड़ गया और एक खंडहर बन गया। गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली मे काफी इमारतो का निर्माण किया है।


इस किले की कुछ फोटो


                                                                   इस किले मे  मस्जिद


                                                                      
                                                                          बुर्ज 

                                                    इस किले मे बने कक्श

2. गयासुद्दीन का मकबरा 


गयासुद्दीन का मकबरा 

गयासुद्दीन व अन्य का मकबरा
                                                        

यह कहां पर है

गयासुद्दीन का मकबरा दिल्ली में महरौली बदरपुर रोड पर तुगलकाबाद  किले के सामने  है।

इस किले का इतिहास

गयासुद्दीन की कब्र व उनके पत्नी व पुत्र

                    
इस किले का इतिहास भी तुगलकाबाद किले के समान ही है। इस किले को गयासुद्दीन  तुगलक ने अपने शासनकाल के दौरान स्वयं ही  सन् 1325 में इसका निर्माण करवाया था। यह मकबरा एक पथरीली जगह पर अवस्थित है जो चारों तरफ से जलाशयो से द्वारा घिरा हुआ है और तुगलकाबाद किले से मकबरे तक एक पुल बना हुआ था जोकि महरौली और बदरपुर के रास्ते निकालने के कारण इसको काट दिया गया था या इसको कह सकते कि यह एक उपसेतु से जुड़ा हुआ था। इस मकबरे के अंदर तीन कब्रे है जो कि बीच वाली गयासुद्दीन  तुगलक की बताई जाती है और बाकी दो अन्य उसकी पत्नी व पुत्र की है।

इस मकबरे की छ्त की बनावट


क) जफर खान का मकबरा


इस मकबरे के परिसर मे ही जफर खान का मकबरा भी है जफर खान का मकबरा सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक द्वारा बनवाया गया था और यह शीर्ष परिसर की पहली संरचना थी। ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थान पर सुल्तान को एक बाड़े की स्थापना करने और उसके अंदर अपना मकबरा स्थापित करने का विचार दिया गया था। शिलालेख के अनुसार इस स्थान को दारु -ए-अमन (शांति का निवास स्थान) कहा जाता है। जफर खान दिल्ली सल्तनत का सेनापति था जिसने विशाल प्रदेशों को घेर लिया और युद्ध में मारा गया। यह एक धनुषाकार उद्घाटन मकबरे तक पहुंच प्रदान करता है। दीवारों को एक घरेलू छत और सफेद संगमरमर से ढका हुआ है। उनका मकबरा ज्ञासुद्दीन मकबरे के दिवार  का एक अभिन्न अंग है।

जफर खान की  कब्र


इस किले की आकृति और आकार

मकबरे परिसर मे वर्गाकार मैदान

यह मकबरा पंचभुज आकार का बनाया गया है और यह 8 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। मकबरे के चारों ओर प्राचीन ढलनायुक्त दीवार से घिरा हुआ है। इसके प्रत्येक कोने में बुर्ज  बनाया गया है। मकबरे का मुख्य प्रवेश मार्ग एक भव्य दरवाजे से होकर जाता है जो लाल बलुआ पत्थर का बना है इसका ऊपरी भाग सफेद संगमरमर के गुंबद से बनाया हुआ है और अष्ट मंडल इसके ऊपर स्थित हैं मेहराबों के किनारे सफेद संगमरमर की पट्टी द्वारा अलंकृत है इस मकबरे की वस्तुगत शैली प्रारंभिक भारतीय इस्लामी वास्तुकला का प्रतिनिधित्वं है। इस पूरे मकबरे का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है।

इस मकबरे की कुछ अन्य फोटो


                                                                     

3. आदिलाबाद का किला


 यह कहा पर है

 यह आदिलाबाद का किला तुगलक किले व मकबरे के कुछ ही दूरी पर है व तुगलकाबाद किले के दक्षिणी हिस्से में पड़ता है

इस किले के बारे मे 



यह किला भी तुगलकाबाद किले के समान ही है और यह भी अब खण्डहर बन चुका है और यह पर्यटको के लिये बन्द किया हुआ है। इस किले का निर्माण  तुगलक के बेटे मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल(1325-1351) के दौरान करवाया था। इस किले को मोहम्मद बिन तुगलक के द्वारा करवाने के कारण इसे मोहम्मदाबाद भी कहा जाता है। और इस किले को मोहम्मद बिन तुगलक के समय दिल्ली का चौथा किला कहा जाता था और अब भी माना जाता है। इस किले की योजना बिल्कुल तुगलकाबाद किले के समान ही मिलती-जुलती लगती है। पहले इस किले का रास्ता सीधे तुगलकाबाद किले से मिलता था। इस किले के ऊपर से पूरे दिल्ली के शहर को देखा जा सकता है। इस किले के अंदर  व बाहर के प्राचीर के प्रमाण देखे जा सकते हैं। इसमें प्रवेश दक्षिण पूर्व व दक्षिण पश्चिमी निर्मित दो दरवाजों से किया जा सकता है। लेकिन अभी यह दोनों दरवाजे बंद किए हुए हैं। इस किले के अंदर दुर्ग की दीवारें बुर्जे दरवाजे व अन्य चीज के अवशेष मौजूद है।

इसका  संंरक्षण 

दिल्ली के इन किले व  मकबरे का संंरक्षण भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण द्वारा किया जा  रहा है।

यहां के लिए यात्रा के साधन

आप यहां पर किसी भी साधन ऑटो, कार, बस वे अपने साधन से आ जा सकते हैं।
1. यहां का नियर रेलवे स्टेशन तुगलकाबाद है।
2. यहां का नियर मेट्रो स्टेशन भी तुगलकाबाद के नाम से है।
3. यहां का बस स्टॉप तुगलकाबाद गांव के नाम से है।
4. यहां का नियर हवाई अड्डा इंदिरा गांधी इंटरनेशनल है।
5. यह मेहरौली बदरपुर रोड पर स्थित है जिसको एमबी रोड भी कहा जाता है यहां पर नोएडा व महरौली वाली बस आती जाती रहती है।

इन किलों के अंदर प्रवेश शुल्क

तुगलक किले व मकबरे के अंदर प्रवेश शुल्क विदेशों के लिए ₹100/- और भारतीयों के लिए ₹10/- है। जो टिकट शुल्क तुगलकाबाद किले के लिए लिया जाता है वही टिकट गयासुद्दीन  मकबरे के प्रवेश के लिए भी मान्यता होता है।














दोस्तों आशा करता हूं मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी है या आपके लिए लाभदायक है तो आप से अनुरोध है कि इस जानकारी को आप अपने  दोस्तो व अन्य जगह शेयर जरूर करें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ