गुरुद्वारा मजनू द टिला का इतिहास(History of Gurdwara Majnu The Tila)

क्या आप जानते हो? दिल्ली के जिस जगह को मजनू के टिले के नाम से जाना जाता है उसका इतिहास क्या है? क्या आप जानते हो? जिस गुरुद्वारे पर पूर्णमासी के दिन और अन्य सिख धर्म के त्योहारो पर काफी संख्या मे श्रद्धालु आते है, उस गुरुद्वारा का इतिहास क्या है? क्या आप जानते हो यमुना नदी के किनारे बने मजनू के टिला का गुरुद्वारा का इतिहास क्या है? अगर नहीं जानते तो चलिये इस आर्टिकल में जानते है:- 

गुरुद्वारा मजनू द टिला

आज हम इस आर्टिकल में आपको दिल्ली के एक और प्रसिद्ध गुरुद्वारे के बारे मे बताएँगे जो करीब 700 साल पुराना है। और सिख धर्म के गुरुद्वारा यहा पर अपनी पहचान छोड़ कर गए व  वर्तमान समय मे काफी श्रद्धालु यहा पर दर्शन करने के लिए आया करते है। हाँ जी हम बात कर रहे है यमुना नदी के किनारे बसे टीला गाँव मे बने "मजनु द टीला गुरुद्वारा" की जिसको आज से लगभग  700 साल पहले ठहरे सिख धर्म के गुरु  और उनकी याद व श्रध्दा से गुरुद्वारा बनाया गया और काफी लोग अपनी श्रद्धा से यहा पर हर वर्ष त्योहारो पर दर्शन करने के लिए आते है। 


यहा कहा  पर है 

यहा भारत की राजधानी दिल्ली के उत्तरी जिले में  जीटी करनाल रोड पर मजनू द टीला के पास स्थित है। यह यमुना किनारे स्थित है। 


गुरुद्वारे का  इतिहास 

इस स्थान की  एतिहासिक कथा 

1 सिकंदर लोधी के समय 

कहा जाता है कि  इस स्थान पर श्री गुरु नानक देव जी दिल्ली के शासक बादशाह सिकंदर लोधी के समय पर आए थे। एक सूफी ( फकीर) अब्दुला ईरान से प्रभु भक्ति का प्रचार करता हुआ इस स्थान टीले पर आया था । इस टीले के एकांत स्थान पर  एक छोटी सी  झुग्गी बनाकर भगवान की भक्ति  तथा साथ ही यमुना नदी को पार करने वाले लोगो की सेवा करता था। यह फकीर श्री गुरु नानक देव जी की वडयाई (महिमा) सुनकर प्रभावित हुआ। गुरु जी को याद करते हुआ उनके दर्शनों के लिए अरदास करता था। श्री गुरु नानक देव जी ने 20 जुलाई 1505 ई0 को अमृत  वेले फकीर को दर्शन दिये। फकीर के पास गुरु सत्संग कर रहे थे की कुछ लोगो के रोने की आवाज सुनाई दी पता चला कि हाथी को संभालने महावत रो रहे थे।  गुरु जी ने उनके हाथी को जिंदा करने कि अरदास की तथा बादशाह का मारा हुआ हाथी जिंदा कर दिया। बादशाह तथा संगत यह करामात देखकर हैरान हो गये। बादशाह गुरु जी से अपनी भूल (गलती) मानता हुआ गुरु जी के चरणों मे पड़ गया। गुरु देव जी ने 31 जुलाई 1505 ई0 तक स्थान में ठहरे।इधर दूसरी तरफ गुरु जी जाते समय मजनू फकीर की सेवा भक्ति को देखते हुए गुरु जी ने वरदान  दिया कि मजनू यहा स्थान तेरे नाम के साथ  प्रसिध्द होगा और  तेरा नाम रहती दुनिया तक रहेगा। 

2 बादशाह जहाँगीर के समय 

बादशाह जहाँगीर के समयकाल में श्री गुरु हरगोविंद साहिब जी ने सन 1621 ई0 में अपने पवित्र चरण इस स्थान पर डाले थे। गुरु जी दिल्ली की संगत को नामदान तथा पुत्रो की डाट प्रदान की। गुरुजी के बादशाह के साथ धार्मिक विचार भी हुए। गुरुजी ने बादशाह को सही दिशा प्रदान की। गुरुजी को एक सोची समझी चाल के साथ ग्वालियर के  किले मे भेजा गया। जिसके लिए बाबा बुढ़ा जी ने अमृतसर और ग्वालियर में चौकी जत्थे के रूप मे नगर में कीर्तन आरंभ कर  दिये। गुरु जी के प्रति संगत का प्यार देखकर तथा साई मिया मिर और कई विदानों के कहने पर जहाँगीर ने गुरु जी को किले से रिहा करने का हुक्म दिया। गुरु जी ने अपने साथ 52 कैदी को बादशाह से रिहा करवाऐ। इस स्थान पर ही 1614 ई0 को 52 राजाओ को उनकी रियासत वापस दिलवाई।   

3. औरंगजेब के शासनकाल में 

सन 1658 ई0 में जब गुरु हर राए साहिब जी के बड़े सुपुत्र बाबा राम राये  जी इस स्थान पर आए तब औरंगजेब ने बाबा जी को कुएं में गिराने की साजिस रची और कुएं के ऊपर चददर बिछा दी। बाबा राम राये  जी बिना डोले चददर पर ऐसे बैठ गये जैसे जमीन पर बैठ गये और फिर यहा करामात देखकर बादशाह  हैरान हो गये। इस स्थान पर बाबा राम राये जी ने 72 चमत्कार दिखाये। 

4. जत्थेदार बघेल सिंह के समय और गुरुद्वारे का निर्माण 

जब जत्थेदार बघेल सिंह जी ने 1783 ई0 में 30 हजार सिक्ख फौजियो के साथ दिल्ली पर हमला किया। उस समय 5000 सिक्ख सूरमों के साथ इस स्थान पर ठहरे। जत्थेदार बघेल सिंह ने 1783 ई0 को दिल्ली पर कब्जा  करके एतिहासिक स्थान और गुरुद्वारे स्थापित किये। इस स्थान का नाम "गुरुद्वारा मजनू द टिला"  रखा गया। 

 वर्तमान मे गुरुद्वारे का रंग रूप

वर्तमान मे यहा गुरुद्वारा जीटी करनाल रोड पर स्थित है और यह गुरुद्वारा काफी बड़ा है और इसमे भी बाकी गुरुद्वारे की तरह लंगर की जगह और गाड़ी खड़ी करने के लिए पार्किंग बनी हुई है। इस गुरुद्वारे का निर्माण भी बाकी गुरुद्वारे के समान ही सफ़ेद संगमरमर के पत्थर से किया गया गया है। 



गुरुद्वारे के पास आने के साधन 

इस प्रसिध्द स्थान पर  आप बस, रेल, कार, ऑटो  आदि संसाधन के द्वारा आ-जा सकते हो:- 

1. रेल द्वारा: यहा का नियर रेलवे स्टेशन पुरानी दिल्ली है जो की भारत के सभी स्थान से आती है।
2. बस द्वारा: यहा पर भारत के किसी भी कोने से बस के माध्यम से आ सकते हो। यहा नियर बस अड्डा कश्मीरी गेट का है। 
3 .अपने साधन द्वारा: आप यहा पर अपने साधन व कार के द्वारा आ सकते हो । यहा जी टी करनाल रोड  पर स्थित है जो की मजनू का टीला के नाम से प्रसिध्द है।  
4 . हवाई जहाज के द्वारा: दिल्ली के इस स्थान पार आप हवाई जहाज के माध्यम से और फिर बस या मेट्रो के द्वारा आ सकते हो। यहा नियर हवाई जहाज अड्डा मोहन नगर और इन्दिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। 



इस गुरुद्वारे के आसपास प्रसिध्द व घूमने लायक जगह

इस गुरुद्वारे के आसपास काफी ऐसी जगह है जहा पर इसके  साथ ही बाकी जगह पर भी घूम सकते हो । और जो यहा की प्रसिध्द और घूमने के लिए जगह है:-

1. दिल्ली की यमुना नदी 



दिल्ली की यमुना नदी प्रसिद्ध नदियो मे से एक है जो उतराखंड के यमुनोत्री से आती है। यही वह नदी है जिस पर मजनू लोगो को अपनी नाव से यमुना पार कराता था।  

2.  दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज:



दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज दिल्ली का पहला सबसे बड़ा ब्रिज है जो कि अब यह भी एक पर्यटक के रूप मे गिना जाता है। और काफी पर्यटक इसको देखने और यहा का नजारा लेने के लिए आते है। 

3. दिल्ली का वजीराबाद किला व आश्रम 


दिल्ली का वजीराबाद भी एक एतिहासिक स्थान है जो लगभग 800 साल पुराना माना जाता है। इसको सिकंदर लोधी के सैनिक द्वारा बनाया गया था। ( इसका इतिहास देखिये

4. दिल्ली का कश्मीरी गेट 


दिल्ली का  कश्मीरी गेट व स्थान वर्तमान और पूर्व मे काफी प्रसिध्द माना जाता है इस स्थान पर रेलवे, मेट्रो, बस व माल आदि यहा पर है। (इसका इतिहास देखे )



आशा करता हू की आपको मेरी यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा। 

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