अजमेर के ढाई दिन के झोपड़ा का इतिहास(History of Ajmer's two-and-a-half-day hut)

क्या आप जानते हो ? वह कौन सा  झोपड़ा है, जिसको बनाने में सिर्फ ढाई दिन लगे थे और ढाई दिन मे वह बनकर तैयार हो गया था? हा, जी हम बात कर रहे है अजमेर में बने ढाई दिन के झोपड़ा  की। तो क्या आप इसका इतिहास जानते हो? इस झोपड़े को कब, क्यो और कैसे निर्माण किया गया था? इस झोपड़े का निर्माण किस शासक ने करवाया था? आज हम इस आर्टिक्ल मे आपको अजमेर के ढाई दिन के झोपड़ी  का इतिहास बताएँगे। अगर आप नहीं जानते इसका इतिहास, तो चलिए जानते है अजमेर के ढाई दिन के झोपड़ा  का इतिहास:-  



यह अढाई दिन की झोपडा  कहाँ पर है 

यह भारत के राज्य राजस्थान के जिला अजमेर में अजमेर दरगाह से  थोड़ी ही दूर में है। 

अढाई  दिन के झोंपड़े के बारे में 

आपने इसके नाम से ही सुना होगा "अढाई दिन का झोपड़ा" जिसका अर्थ है  वह झोपड़ा या झोपडी जिसको बनाने में ढाई दिन लगे। लेकिन अब के समय में यह झोपडी नहीं है बल्कि यहाँ एक मस्जिद है जो काफी पुरानी बताई जाती हैे जिसको  ढाई दिन में बनाकर तैयार किया गया था  और इसको अब एक पर्यटक स्थल के रूप मे जाना जाता है जो अब इसको  एक ही नाम  "अढ़ाई दिन का झोपडा" के नाम से जाना जाते है। 

कुछ लोगो का मानना यह भी है कि   बहुत सालों तक अजमेर में ये अकेली मस्जिद थी। बाद में 18वीं सदी में फकीर उर्स के लिए यहां इकट्ठा होने लगे. ये लगभग ढाई दिनों तक चलता था। यहा चलने वाले अढ़ाई दिन के उर्स(मेला)(पंजाब शाह)  के कारण इसका नाम " अढ़ाई दिन का झोपड़ा पड़ा था। 

इस ढाई दिन के झोंपड़े का इतिहास 

इसका इतिहास मध्यकाल के समय मोहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान के काल के समय का है यहाँ "ढाई दिन का झोपड़ा"  जिस स्थान पर है उस स्थान को तारागढ़ कहते है और उस समय यहाँ का शासक पृथ्वीराज चौहान थे और उनकी यहाँ राजधानी हुआ करती थी। यहाँ पर "अढाई दिन के झोपड़े" की जगह निर्माण "सरस्वतीकण्ठाभरणविद्यापीठ" नामक संस्कृत विश्वविद्यालय हुआ करता था। मोहम्मद  गोरी ने  जब भारत पर आक्रमण  किया और तराईन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया और और उसके बाद पृथ्वीराज चौहान की राजधानी पर कब्ज़ा कर लिया। 


इस स्थान पर कब्जा करने के बाद मोहम्मद गोरी के आदेश पर इनके गर्वनर कुतुबद्दीन ऐबक ने यहाँ स्थित संस्कृत विद्यालय  को तोडकर मस्जिद का निर्माण करवाया और इन्होने इसका निर्माण ६० घंटो यानि ढाई दिनों में पूरा कराया। गोरी के दौरान हेरात के वास्तुविद Abu Bakr ने इसका डिजाइन तैयार किया था। जिसपर हिंदू ही कामगारों ने 60 घंटों तक लगातार बिना रुके काम किया और मस्जिद तैयार कर दी।अब ढाई दिन में पूरी इमारत तोड़कर खड़ी करना आसान तो नहीं था इसलिए मस्जिद बनाने के काम में लगे कारीगरों ने उसमें थोड़े बदलाव कर दिए ताकि वहां नमाज पढ़ी जा सके।मस्जिद के मुख्य मेहराब पर उकेरे साल से पता चलता है कि ये मस्जिद अप्रैल 1199 ईसवीं में बन चुकी थी।इस लिहाज से ये देश की सबसे पुरानी मस्जिद कहीं जाती है।

कुछ वर्षों बाद गुलाम वंश का शासक शमशुद्दीन (Shams ud-Din Iltutmish) ने इस मस्जिद का सौंदर्यीकरण करवाया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि शमशुद्दीन दिल्ली सल्तनत का पहला बादशाह था।1213 ईसवीं में मस्जिद का पुर्ननिमाण हुआ और इसकी तस्वीर बदल गई, हालांकि अब भी अढ़ाई दिन का झोपड़ा के कभी संस्कृत से जुड़ा होने के अवशेष मिलते हैं। मिसाल के तौर पर अब भी इसके मुख्य द्वार की बाईं तरफ संगमरमर का बना शिलालेख भी है।
इस मस्जिद का आधे से ज्यादा हिस्सा मंदिर का है इसलिए यह मस्जिद कम मंदिर ज्यादा  ज्यादा लगता है इस मंदिर का जो हिस्सा तोड़ कर नया बनवाया गया है उन दीवारों पर कुरान की आयतें लिखी गई थी जिससे पता चले कि यह मस्जिद है

यह संस्कृत विद्यालय का प्राचीन काल में स्वरूप  

प्राचीन काल में यह संस्कृत विद्यालय का  सौंदर्य रूप में दिखता था और यह चौकोर रुप में था और यह कॉलेज वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण था जिसके हर किनारे पर डोम के आकार की छतरी बनी हुई थी. वैसे इस इमारत के इतिहास के बारे में अलग-अलग जानकारियां हैं. जैसे जैन धर्म को मानने वालों का कहना है कि यहां पर सैठ विरामदेवा कला( Seth Viramdeva Kala) ने 660 ईसवीं में जैन उत्सव पंच कल्याणक मनाने के लिए इसे एक जैन तीर्थ की तरह तैयार किया था।


ब्रिटिश काल के समय


ब्रिटिश काल के दौरान Archaeological Survey of India के डायेक्टर जनरल Alexander Cunningham, जो कि पहले ब्रिटिश आर्मी में मुख्य इंजीनियर रह चुके थे, के मुताबिक मस्जिद में लगे मेहराब ध्वस्त किए गए मंदिरों से लिए गए होंगे. वहां ऐसे लगभग 700 मेहराब मिलते हैं, जिनपर हिंदू धर्म की झलक है। कुछ वर्षों तक यह सबकी नजरों से छिपा रहा था।ब्रिटिश सरकार  के ओरिएंटल स्कॉलर James Tod ने साल 1891 में मस्जिद का दौरा  किया।इसी मस्जिद का जिक्र उसकी किताब Annals and Antiquities of Rajastʼhan में है।जेम्स के मुताबिक ये सबसे प्राचीन इमारत रही होगी।साल 1875 से लेकर अगले एक साल तक इसके आसपास पुरातात्विक जानकारी के लिए खुदाई चली।इस दौरान कई ऐसी चीजें मिलीं, जिसका संबंध संस्कृत और हिंदू धर्मशास्त्र से है। इन्हें अजमेर के म्यूजियम में रखा गया है।


फिलहाल इस मस्जिद को इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना माना जाता है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी आते हैं।

इस ढाई दिन के झोपड़े का वर्तमान स्वरूप और आकार  

वर्तमान में यह झोपड़ा एक मस्जिद के साथ एक पर्यटल स्थल बना हुआ है जो अब उजड़ा हुआ प्रतीक  मिलेगा. और यहाँ चौकोर आकृति में बना हुए है और करीब 5 फुट ऊंचा और भारतीय शैली में  अलंकृत स्तंभों (70 खंभों ) पर स्थित है। इसमें प्रत्येक कोने में चक्राकार एवं बासुरी के आकार की मीनारे निर्मित है। इसके अंदर की खूबसूरत नक्काशी की गई है। 90 के दशक में यहाँ कई देवी देवताओ कई प्राचीन मुर्तिया बिखरी हुई मिली थी जिसको बाद में एक सुरक्षित स्थान में रखवा दिया था। और वर्तमान में इसके अंदर एक हरी-भरी लाइट जलती हुई मिलेगी।


वर्तमान में इसका अधिकार व् देखरेख 

वर्तमान में यह राज्य सरकार के अधीन आता है और इसकी देख-रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित की जाती है। भारतीय पुरातत्व स्थल और प्राचीन स्मारक अवशेष अधिनियम 1958 के 24 के अंतर्गत की जाती है।


यहाँ के प्रवेश शुल्क 

वर्तमान में यहाँ कोई प्रवेश शुल्क नहीं है 




यहाँ के लिए आने जाने के परिवहन साधन 

इस जगह पर आप  हवाई मार्ग, रेलमार्ग, सड़कमार्ग, आदि मार्ग के माध्यम से आ सकते हो और यहाँ पर आने जाने के लिए आप रेलगाड़ी, बस, ऑटो, रिक्शा, हवाई जहाज या अपने साधन  आदि के माध्यम से आ-जा सकते हो. 

1. ऑटो व् रिक्शा के माध्यम से


आगर आप अजमेर या आसपास में रहते हो तो आप यहाँ आसानी से ऑटो व् रिक्शा के माध्यम से यहाँ पर आ सकते हो:- 


2. भारतीय रेलवे के माध्म से



आप यहाँ  पर भारतीय रेलवे के माध्यम से भारत के किसी भी कोने से आ सकते हो।यहाँ नियर रेलवे स्टेशन अजमेर है उसके बाद आप किसी भी ऑटो रिक्शा के माध्यम से यहाँ आसानी से आ सकते हो।


3. हवाई जहाज के माध्यम से :



यहाँ का नियर हवाई अड्डा संगंर जयपुर अंतराष्टीय हवाई अड्डा है और फिर आप ऑटो या बस के माध्यम से यहाँ आसानी से आ सकते हो। यह जयपुर से करीब 135 किलोमीटर दूर है वैसे यह पर  किशनगढ़ और अजमेर का भी हवाई अड्डा है लेकिन यहाँ  अभी अंतराष्ट्रीय स्तर पर नहीं है.






4. भारतीय राजमार्ग के माध्यम से

यहाँ पर आप अपने साधन के माध्यम से भी आ सकते हो आप अपनी कार या अन्य साधन के द्वारा भारत के किसी भी स्थान से यहाँ राजमार्ग के द्वारा आ सकते हो। यह भारतीय राजमार्ग NHAI 48 पर स्थित है।



यहाँ पर रहने के लिए होटल 



अगर आप यहाँ पर 2 या अधिक दिनों के लिए घुमने के लिए आते हो तो आप यहाँ पर आसानी से होटल को बुक करवा सकते हो और यहाँ पर काफी ऐसे होटल है जो अब भी राजमहलो जैसे है। आपको यहाँ पर कम दामो से लेकर बड़े दामो तक के होटल मिल जायेंगे।


यहाँ के अन्य पर्यटक स्थल 

यहाँ पर आप ढाई दिन के झोपड़े के आलावा कई और पर्यटक स्थल भी  घूम सकते है जो इसके पास और थोड़ी ही दूर पर स्थित है और  जो काफी प्रशिध्द और एतिहासिक माने जाते है:-

1. अजमेर दरगाह 

यहाँ अजमेर दरगाह सबसे पुरानी मानी जाती है और यहां पर लोग काफी दूर-दूर से यहां आते हैं यह अजमेर शरीफ दरगाह प्रसिद्ध धार्मिक जगह है।

2 तारागढ़ का किला

 ढाई दिन के झोपडे से कुछ ही दुरी की ऊंचाई पर तारागढ़ का किला है तो पृथ्वीराज चौहान के समय का है यह काफी प्रसिद्ध जगह है।

3 आनासागर बारादरी

यहां की सबसे प्रसिद्ध और काफी सुन्दर  सागर भी है जिसको आनासागर बारादरी के नाम से प्रसिद्ध है। यह रात के समय काफी सुन्दररुप दृश्य दिखाई देता है।

4 पृथ्वीराज चौहान स्मारक


अजमेर शहर थोड़ी सी दूर पृथ्वीराज चौहान स्मारक है हल्दीघाटी के युद्ध लड़े हुए और महानता को दर्शाते हुए दिखाया गया।इस स्मारक में पृथ्वीराज चौहान तुर्तीय कई मूर्ति को अपने घोड़े पर बैठे हुआ दर्शाया गया है जोकि काले पत्थर से निर्मित है। इनके घोड़े के अगले दोनों पैरो के खुर, सामने ऊपर की हवा में उठे हुआ है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है।यह स्मारक एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है।   


5 पुष्कर जी में ब्रम्हा जी का मंदिर

अजमेर शहर से 15 किलोमीटर दूर ब्रह्मा जी का मंदिर है पुष्कर क्षेत्र में  पड़ता है यह काफी प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और यहां पर ही पुष्कर झील  भी  है जो काफी प्रसिद्ध मानी जाती है।

6 शहीद स्मारक

अजमेर रेलवे स्टेशन के सामने जो शहीद स्मारक बनी हुई है जो काफी सुंदर आकृति  में बनाई गई है यह महान योद्धा शूरवीर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इसका निर्माण किया गया|

7. साईं बाबा मंदिर 

अजय नगर में पांच भीगा (या दो एकड़ से अधिक) के क्षेत्र में फैले, अजमेर में साईं बाबा मंदिर का निर्माण 1999 में गरीब नवाज शहर के निवासी सुरेश के लाल द्वारा किया गया था। यह वास्तुकला के सबसे हालिया टुकड़ों में से एक है। और सभी साईं बाबा भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

7.  सोनी जी नसिया 

सोनी जी नसिया जिसे अजमेर जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है यहाँ अलंकृत वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण माना जाता है यहाँ ऋषभ और आदिनाथ को सर्मपित है यहाँ भी काफी प्रसिद्ध मंदिर है इसका प्रवेश द्वार लाल पत्थर से बना है और अंदर संगमरमर की सीढ़ी पवित्र तीर्थकरो की छवियों के साथ उत्कीर्ण हैं।

8 अजमेर गवर्नमेंट म्यूजियम

अजमेर के सरकारी संग्रहालय में प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और जहां पर मुगल सम्राट अकबर के शानदार किले महल के भीतर स्थित है जिसे 1570 में बनाया गया था।

9 स्वामी विवेकानंद स्मारक

यह भी काफी प्रसिद्ध स्थल स्मारक है जो कोटडा मे लगभग 6800वर्ग मीटर है। अजमेर विकास प्राधिकरण के वुद्लैंड़ में  बनाया गया है।

10 विक्टोरिया  क्लॉक टावर घंटा

ब्रिटिश साम्राज्य के शासन के समय यहां पर एक "विक्टोरिया जुबली क्लॉक टावर" निर्मित है जो काफी सुंदर और ब्रिटिश कलाकृतियों में निर्मित है। यह भी एक काफी प्रसिद्ध स्मारक में गिनती की जाती है यह अजमेर शहर में स्थित रेलवे स्टेशन के एकदम सामने की ओर है और यह भव्य स्मारक घंटाघर सन 1887 में बनवाया गया था।

11 किशनगढ़ का किला और शहर




अजमेर से 30 किलोमीटर दूरी पर किशनगढ़ का शहर लगता है जो काफी प्रसिद्ध और ऐतिहासिक जगह है किशनगढ़ का किला काफी पुराना और प्रसिध्द  माना जाता है। यहा  का इतिहास पढिये और यहा के बारें मे जाने।


दोस्तों आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई है जानकारी अच्छी लगी होगी और अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो इसको आप अपने दोस्तों व अन्य जगह शेयर जरूर करें जिससे वह भी यहाँ  के बारे में जान सके।🙏


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