राजस्थान के जयपुर का इतिहास(History of Jaipur, Rajasthan)

क्या आप जानते हो? राजस्थान के जयपुर का इतिहास क्या है ?? क्या आपको पता है राजस्थान के जयपुर को पिंक सिटी भी कहा जाता है!! क्या आप जानते हो इसको पिंक सिटी क्यों कहा जाता है?? क्या आप जानते हो ?राजस्थान के जयपुर को पिंक सिटी के साथ ही भारत का पेरिस भी कहा जाता है!! क्यों?? क्या आप जानते हो?? जयपुर का निर्माण किस शासक ने कब और क्यों करवाया ?? वर्तमान में जयपुर राजस्थान की राजधानी कहे जाने वाली सबसे ज्यादा प्रसिद्ध जगह क्यों है?? इन सभी सवालों के जवाब के लिए, चलिए जानते हैं जयपुर का इतिहास और जयपुर में सबसे प्रसिद्ध  घूमने वाली जगह के बारे में:-

जयपुर का इतिहास
जयपुर शहर का दृश्य दिन और रात में

राजस्थान का जयपुर कहां पर है

भारत के उत्तरी हिस्से के राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर है। यह है दिल्ली अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है यह दिल्ली से लगभग 285 किलोमीटर दूर स्थित है और अजमेर से 135 किलोमीटर दूर है।

राजस्थान का जयपुर 

आज भारत के राज्य राजस्थान की राजधानी कहे जाने वाली जयपुर राजधानी के साथ ही अपने संस्कृतिकऐतिहासिक महत्व होने के साथ प्रसिद्ध स्थल और सबसे प्रसिद्ध शहर के रूप में माना जाता है। जयपुर प्रसिद्ध शहर के रूप में होने के साथ राजस्थान का सबसे ज्यादा आय अर्जित करने वाला शहर है। जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर माना जाता  है। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है और इसके साथ ही इसको पिंक सिटी या गुलाबी शहर भी कहा जाता है। जयपुर भारत के त्रिकोण के रूप में भी शामिल किया गया है यह दिल्ली आगरा और जयपुर को मिलाकर त्रिकोणीय गोल्डन सिटी कहा जाता है इसलिए जयपुर को भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल भी कहा जाता है। यह शहर तीनों ओर से अरावली पर्वत माला से घिरा हुआ है जयपुर शहर की पहचान अपने महलों और पुराने हवेलियाँ और ऐतिहासिक स्मारकों  से की जाती है। जयपुर शहर चारों ओर दीवारों और परकोटा से घिरा हुआ है जिसमें प्रवेश के लिए 7 दरवाजे बनाए गए थे बाद में एक और "न्यूगेट" के नाम से जोड़ा गया। यह पूरा शहर 6 भागों में बटा है और ऐसे 111 फुट चौड़ी सड़कों से विभाजित है। इस शहर के 5 भाग पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिम से गिरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है।

इस शहर को यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया था


जयपुर शहर का निर्माण

जयपुर शहर का निर्माण सवाई जयसिंह या जयसिंह द्वितीय ने सन 1727 में करवाई थी। राजा सवाई जयसिंह उस समय आमेर (अम्बेर किले) में रहते थे। यह आमेर जयपुर से 10 किलोमीटर दूर अरावली घाटी व पहाड़ो पर स्थित है और जयपुर भी तीनो ओर से अरावली पर्वतमाला  से घिरा हुआ है। राजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा अपने राज्य की राजधानी आमेर से जयपुर स्थानांतरित करने का कारण था कि वहां पर पानी की कमी और जनसंख्या का बढना। और वह अपने इस शहर में कुछ नए महल और इसको बड़े क्षेत्र में परिवर्तित करना चाहते थे।  इस शहर का निर्माण करानेे के लिए राजा सवाई  जयसिंह द्वितीय ने अपने विद्वानो से इस जगह की तलाश करवाई और यहां पर पंडितों द्वारा सही स्थान का चुनाव किया। और उस समय राजा ने 6 गांव को मिलाकर इस नगर की स्थापना करवाई उस समय यह 6 गांव होते थे नाहरगढ़, तालकटोरा, संतोष सागर, मोती कटला, गलताजी और किशनपोल को मिलाकर बनाया था।

इस शहर का निर्माणकार/वस्तुकार बंगाली विद्याधर भट्टाचार्य नामक था जिसने इस पूरे शहर को एक नक्शे के रूप में परिवर्तित करके व ज्यामिति रूप के साथ और एक-एक इंच का ध्यान रखकर इस शहर का निर्माण किया। इस शहर को बसाते हुए विशेष ध्यान सड़कों और विभिन्न रास्तों की चौड़ाई पर रखा गया।

राजा द्वारा इस शहर का निर्माण नौ खंडों में करवाया गया था जिसमें से 2 खंड में राजमहल, रानी निवास, जंतर मंतर, गोविंद देव जी का मंदिर आदि और शेष सात खंड में जनसाधारण के मकानों, दुकानों और कारखाने के लिए निर्धारित किए गए थे।

इस शहर के चारों और दीवारों और पर्वतों से घिरा हुआ था जिसमें प्रवेश के लिए 7 दरवाजे बनाए थे और बाद में एक और बनाया गया जिसे "न्यू गेट" के नाम स कहलाया गया।

इस शहर जयपुर में राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने हवेलियाँमहलों, किलो, कारखानों, रानीनिवास, मंदिर, तोपखाने आदि के साथ नगर व प्रवेश द्वार बनवाए थे। वर्तमान में यह सब यहां के पर्यटन स्थल है और आज के समय में जयपुर में काफी कुछ बदल गया है।

जयपुर का इतिहास

अगर युग के हिसाब से देखा जाए तो जयपुर का इतिहास काफी पुराना नहीं है । इस शहर का मध्य काल के अंत में निर्माण किया गया है।लेकिन इसकी स्थापना करने वाला शासक का वंश कई शताब्दी पुराना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कांचवाडा परिवार  परिवार के ग्वालियर से यहां आकर बसे थे जो अपने आप को भगवान श्री राम के पुत्र उसकी संतान मानते थे। इस वंश का संस्थापक दुलहराय(तेजकरण) था, जो 1137 इसवी में बड़गुर्जरों को हराकर नवीन दूंढाड़ राज्य की स्थापना की। सन 1207 में इसी वंश के कोकीलदेव ने मीणाओं से आमेर जीतकर अपनी राजधानी बनाया और तब से 17 शताब्दी तक आमेर राजधानी थी। 18 वीं शताब्दी के शुरुआत में इसी वंश के शासक जयसिंह द्वितीय या सवाई जयसिंह ने जयपुर नगर की स्थापना करके और आमेर से जयपुर नई राजधानी बनाई थी और यहां पर कई महलों और वेधशाला  का निर्माण कराया।



जयपुर की स्थापना से लेकर वर्तमान तक जयपुर के शासक 

जयपुर मेंं वैसे तो कई शासको ने शासन किया लेकिन जयपुर की स्थापना से वर्तमान तक के कुछ शासक है जिन्होने जयपुर मे शासन किया और अपने शासन के समय जयपुर में बदलाव किया है। जयपुर के स्थापना से लेकर वर्तमान तक के शासन है:-

1. सवाई जय सिंह या जय सिंह द्वितीय

जब जयपुर की स्थापना हुई उस समय जयपुर का राजा सवाई जय सिहं ही था और इन्होने ही जयपुर की 1727 में स्थापना की थी। इनका वास्तविक नाम विजयसिंंह था। लेकिन बादशाह औरेंगजेब इनकी तुलना जयसिंह प्रथम से की और इनका नाम विजयसिंह से सवाई जयसिंह की उपाधि दी। इन्होने मुग्ल सेना की तरफ से मराठो के खिलाफ युध्द लडा था।

यह संस्कृत, फारसी, गणित एव ज्योतिष का प्रकाण्ड विद्वान थे और इन्हे ज्योतिष शासक भी कहा जाता है।  इन्होने ही दिल्ली, जयपुर,उज्जेन, मथुरा, और बनारस में जंतर मंतर(वैधशाल) का निर्माण करवाया। वेधशाल के साथ के साथ ही इन्होने नाहरगढ़ दुर्गजयनिवास महल का निर्माण करवाया।ऐसा कहा जाता है कि जय सिंह द्वितीय अंतिम मुगल हिंदु शासक थे जिसने अश्वमेग़घ यज्ञ का अयोजन करवाया। इस यज्ञ के पुरोहित पुण्डरीक रत्नाकार थे। 

2.  ईश्वरी सिंह

सवाई जयसिंह के बाद  जयपुर का शासक जयसिंह का पुत्र ईश्वरी सिंह बना। इनके गद्दी सम्भालने के कुछ वर्षो के बाद ही इनके भाई   माधोसिंह ने गद्दी प्राप्त करने के लिये मराठो के साथ जयपुर पर आक्रमण कर दिया लेकिन इस युध्द में  ईश्वरी सिंह की विजय हुई।  विजय के उपलक्ष्य में इन्होंने जयपुर के त्रिपोलिया बाजार में एक ऊंची मीनार ईसरलाट( वर्तमान सरगासूूली)  का निर्माण कराया। सन् 1750 मे जयपुर पर मराठों ने आक्रमण किया। जिसमें  ईश्वरी सिंह ने आत्महत्या कर ली। 

3. सवाई माधोसिंह

ईश्वरी सिंह के आत्म हत्या करने के बाद जयपुर की गद्दी पर  राजा सवाई माधोसिंह बैठा।इसके बाद मराठो सरदार मल्हार राव होलकर  और जय अप्पा सिंधिया ने इससे भारी रकम की मांग की जिससे ना चुकाने पर मराठा सैनिकों ने जयपुर में उपद्रव मचाया जिसके स्वरूप नागरिकों ने विद्रोह कर मराठा सैनिकों का कत्लेआम कर दिया। सन 1768 मे इनकी मृत्यु हो गई थी।

महाराजा सवाई माधोसंह ने अपने शासनकाल के दौरान जयपुर में मोती डोंंगरी पर महलो का निर्माण करवाया।


4. महाराज पृथ्वी सिंह 

राजा सवाई माधोसिंह  की मृत्यु के पश्चात जयपुर का माधो सिंह का बडा पुत्र  राजा पृथ्वी सिंह को बनाया  गया। इन्होने कुछ 10 वर्षो तक जयपुर पर शासन किया और इसके बाद इनकी अचानक से  मृत्यु हो गई।

5. सवाई प्रताप सिंह

राजा पृथ्वी सिंह की मृत्यु होने के बाद इनक छोटा भाई सवाई प्रताप सिंह सन 1778 में जयपुर की ग़द्दी पर बैठा। यह भगवान श्री कृष्ण के बडे भक्त थे जिसके कारण इनके कार्यकाल में सर्वाधिक कला साहित्य का निर्माण हुआ।हुआ।यह संगीतो के बडे विद्वान थे। इन्होने ब्र्जनिधि के नाम से काव्य रचना और साथ ही राधागोविंद संंगीत सार की रचना करवाई। इन्होने ही सन 1799 में महारिनियो और भगवान कृष्ण के लिये हवा महल के निर्माण करवाया।

6. महाराजा जगत सिंह

सवाई प्रताप सिंह के बाद महाराज जगत सिंह जयपुर की राज गद्दी पर बैठा। लेकिन इनका विवाद जोधपुर के साथ रहा जिसके कारण सन 1807 मे गिंगोली का युध्द हुआ जिसमें जगत सिंह की हार हुई। सन 1818 में जयपुर की रक्षा के लिये ईस्ट ईण्डिया कम्पनी से संंन्धि की और इसके कुछ वर्षो के बाद ही इनकी मृत्यु हो गई।


7. महाराजा जयसिंह तृतीय 

राजा जगतसिंह की मृत्यु के पश्चात और इनके कोइ वारिस ना होने के कारण  जयपुर की राजगद्दी पर नरवर के जागीरदार मोहन सिंह को कुछ वर्षो के लिये जयपुर का शासक बनाया गया। फिर जगतसिंह के पुत्र जयसिंह का जन्म के जयसिहंं को जयपुर की राजगददी पर बैठाया गया । लेकिन इसमे जयसिंह तृतीय की माता भटियाणी रानी क हस्तक्षेप अधिक रहता था। लेकिन इसके बाद भी जयसिंह तृतीय की जल्द ही कम आयु मे निधन हो गया।

8. महराजा रामसिंह द्वितीय

जयपुर के जयसिंह तृतीय के निधनके बाद जयपुर के राजगददी पर रामसिंह द्वितीय बैठे लेकिन ब्रिटिश सरकार ने रामसिंह के नाबालिग होने के कारण जयपुर का प्रशासन को अपन हाथो मे ले लिया।

8.1 मेजर जुन लाडलो ने सन 1843 में  जयपुर का प्रशासन  अपने हाथो मे ले लिया और इन्होंंने सती प्रथा, दास प्रथा, कन्या वथ और दहेज प्रथा आदि पर रोक लगाई।

रामसिंह के व्यस्क होने के बाद इनको सारी अधिकार दिये गये और इन्होने जयपुर में काफी सुधार और तरक्की की।
  • 1845 में जयपुर में महाराजा कॉलेज और संस्कृत कॉलेज का निर्माण करवाया। 
  • 1857 के स्वतंत्रता के अंदोलनो मे इन्होने अंग्रेजो का साथ दिया।
  • ब्रिटिश सरकार ने इन्हे सितार‌‌-ए- हिंद की उपाधि दी।
  • दिसम्बर 1875 में  गर्वनर जनरल नार्थब्रुक और फरवरी 1876 में  प्रिंंस अल्ब्रर्ट जयपुर की यात्रा के लिये आये।
  • उस समय राजा रामसिंह द्वितिय ने  जयपुर के पूरे शहर को गुलाबो रंंगो से रंगवा दिया जिससे जयपुर को गुलाबो का नगर कहा जाने लगा।    
  • इस समय प्रिसं अल्ब्रर्ट की यात्रा की स्मृति में प्रिंंस अल्ब्रर्ट  के हाथो अलबर्ट हॉल(म्यूजियम) का  उदघाटन  करवाया।
सन 1880 मे इनका निधन हो गया।

9. सवाई माधोसिंह द्वितीय

रामसिंह द्वितीय के बाद जयपुर का शासक सवाई माधोसिंह द्वितीय को बनाया गया। यह सन 1902 में ब्रिटिश सम्राट एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक में शामिल होने इंग्लैंड गए और अपने साथ गंगा जल से भरे हुए चांदी के दो विशाल जार लेकर गए यह जार विश्व के सबसे बड़े जार है जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किए गए।इन्होने सिटी पैलेश में मुबारक महल का निर्माण भी करवाया। यह इस्लामिक और ईसाई शैली से निर्मित थे। इसके साथ ही इन्होने नाहरगढ दुर्ग मे अपनी नौ पासवानो के लिये नौ  सुंदर महलो का निर्माण करवाया। 

माधोसिंह ने वृदावन में माधव बिहारी जी के मंंदिर का निर्माण करवाया।

10. सवाई मानसिंह द्वितीय 

माधोसिंह के कोई पुत्र ना होने के कारण ईसरदा के ठाकुर सवाईसिंह के पुत्र मोरमुकुंद सिंह को लिया और जयपुर की राजगद्दी पर सन 1922 को  बैठाया। इन्होने ने भी जयपुर मे काफी आधुनिक कार्य किये। इन्होने अपने प्राधानमंत्री मिर्जा स्माईल के मदद से जयपुर मे अपने नाम से स्कूलमेडिकल  कॉलेज, हॉस्पिटलस्टेडियम आदि  बनवाये।इन्होने मोति डुंंगरी पर रानी कूच बिहार के शासक की पुत्री गायत्री देवी के लिये तख्त-ए-शाही महलोंं निर्माण करवाया। इसके साथ ही इन्होंंने सिटी पैलेस म्युजियम की स्थापना भी की। इनको पोलो के लिये एक अच्छे  विश्वप्रशिद खिलाडी भी माने जाते है।  

10(1). राजस्थान का प्रथम( राम प्रमुख)

30 मार्च 1949 को जब राजस्थान का एकीकरण हुआ तब राजा सवाई मानसिंह द्वितीय को राजस्थान का प्रथम( राम प्रमुख )बनाया गया। और 10 वर्षो तक पूरे राजस्थान पर राम प्रमुख के तौर पर  देख भाल की।

10(2) राज्यसभा का सद्स्य और भारत का राजदूत

सन 1960 को जब इन्हे राज्य सभा के लिये नवनिर्वाचित किया गया तो और राज्य सभा के सदस्य के तौर पर जयपुर मे कार्य किया और कुछ 5 वर्षो के पश्चात इनको 1965 में  स्पेन में भारत के राजदूत के लिये भेज दिया गया।

वर्तमान में यहा जनता द्वारा लोकतंंत्र की सरकार के द्वारा राजस्थान व  जयपुर पर शासन किया जा रहा है। और यहा मुख्यमंंत्री व गर्वनर के द्वारा शासन किया जाता है।     

राजस्थान में जयपुर के अलग-अलग रूप में नाम

जयपुर को भारत में व राजस्थान में अलग-अलग रूप में भी जाना जाता  है जयपुर को जयपुर राजस्थान के पर्यटक क्षेत्र में तो गिना ही जाता है साथ ही  यह राजस्थान की राजधानी के रूप में भी माना जाता है जब से जयपुर की स्थापना हुई और अब तक वर्तमान में भी जयपुर को अलग-अलग रूप में मान्यता मिली और अलग पहचान मिली। तो जानते हैं जयपुर को किस किस रूप में जाना जाता है।

1. भारत में राजस्थान की पिंक सिटी के रूप में

जब सन 1876 में बिर्टेन के महारानी एलिजाबेथ के प्रिंस अल्बर्ट  के स्वागत मे पूरे जयपुर शहर को गुलाबी रंंगो से रंगवा दिया था जिससे जयपुर का पूरा शहर गुलाबी हो गया था तब से  जयपुर शहर को भारत में राजस्थान के पिंक सिटी के रूप में भी जाना जाता है। जयपुर को भारत या राजस्थान गुलाबी नगर के नाम पहचान मिली।

2. राजस्थान की राजधानी के रूप में

वैसे तो जयपुर को राजधानी के रुप में पहले से ही जाना जाता था क्योकि जब जयपुर नगर को बसाया था तब यह आमेर की राजधानी हुआ करती थी और इससे पहले अम्बर राजधानी हुआ करती थी। और इसी के साथ ही जब सन 1949 में राजस्थान का एकीकरण करके राज्य के रुप में स्थापना हुई तब से  जयपुर को राजस्थान की राजधानी के रुप मे भी माना जाना लगा। इसी के  कारण ही यह वर्तमान में भी राजस्थान की राजधानी है।   


3.भारत का पेरिस के रूप में

जयपुर शहर को भारत व राजस्थान का गुलाबी नगरी या पिंक सिटी के साथ ही भारत का पेरिस भी कहां जाता है। ऐसा इसलिये कहा जाता है कि जयपुर एक प्रसिध्द व एतिहासिक के साथ ही काफी पर्यट्क वाला नगर के साथ ही राजस्थान की राजधानी है। जयपुर भारत के पेरिस के रूप में भी जाना जाता है। 


4. भारत का त्रिकोणीय गोल्डन सिटी के रूप में

जयपुर को भारत के त्रिकोणीय गोल्डन सिटी के रूप में भी जाना जाता है यह तीसरा ऐसा शहर है जो त्रिकोणीय रूप बनाता है इस त्रिकोणीय में दिल्ली, आगरा और तीसरा जयपुर आता है यह तीनों शहर एक तरह से त्रिकोण के  आकार के रूप में है और आप मेप पर देखने से एक त्रिकोण के आकार में दिखाई देगा जिसके कारण इसको त्रिकोणीय शहर के रुप मे गिना जाता है।


राजस्थान के जयपुर की भौगोलिक स्थिति

राजधानी  जयपुर पूर्व से पश्चिम तक 180 किलोमीटर व उत्तर से दक्षिण तक 110 किलोमीटर दूर तक फैला है। राजस्थान की राजधानी जयपुर का कुल क्षेत्रफल 11,143 kmsq है और यहा की वर्तमान(2022) में जनसंंख्या 41,06,756 है।जनसंख्या के अनुसार यह भारत का 10वा सबसे बडा शहर है। 

राजस्थान का उद्योग शहर 

वर्तमान समय में जयपुर शहर राजस्थान का सबसे ज्यादा पर्यटन स्थल तो है ही  साथ में उद्योग शहर भी है। जहां पर आज के समय में काफी बड़ी-बड़ी कंपनियां मौजूद है और काफी संख्या में व फी मात्रा में यहां पर उत्पादन होता है


जयपुर में घूमने के लिए पर्यटक क्षेत्र

राजस्थान के तो वैसे सारे शहरजिले एक पर्यटक क्षेत्र के रुप में जाने जाते है। लेकिन जयपुर शहर राजस्थान की राजधानी के साथ ही ऐतिहासिकपर्यटक क्षेत्र के रुप में जाना जाता है। जयपुर में काफी ऐसे पर्यटक स्थल है जो अपने आप में एतिहासिक और प्रसिध्द है। राजधानी जयपुर अपने शहर, किलो, महलो,  और हवेलियो के लिये प्रसिध्द है। जयपुर के विभिन्न पर्यटक स्थल है:-

 A) जयपुर शहर के प्रमुख किले

 जयपुर शहर में विभिन्न ऐतिहासिक व प्रसिद्ध किले हैं :-

1. आमेर किला

यह जयपुर शहर का सबसे पुराना  किला है। जयपुर के राजा पहले यही पर रहते थे।यह जयपुर शहर से 10 किलोमीटर दूर दिल्ली जयपुर मार्ग पर है। यह अरावली पहाडो पर स्थित है।

2. जयगढ़ किला


3. नाहरगढ़ का किला



B) जयपुर शहर के प्रमुख पैलेस व महल

जयपुर शहर में किले के साथ ही प्रमुख महल भी है जो अलग-अलग शासकों ने बनाए हैं और जयपुर शहर के पर्यटन स्थल के रूप में जाने जाते हैं:-

1. सिटी पैलेसे 

2. हवा महल 


यह हवा महल है जो सवाई जयसिंह ने अपने रानियो के लिये बनाया गया था इसके पाचवे मंजिल पर हवा मंदिर है जिसके कारण इसको हवा महल कहते है। जयपुर के हवा महल के बारे में व इसका इतिहास देखे( हवा महल के बारे में ) 

3. जल महल

यह महल जल के बीच बनाया गया है 

4. मुबारक महल

5. बादल महल


C) जयपुर शहर के प्रमुख बाघ व उद्यान

जयपुर शहर में किलो के साथ ही प्रमुख बाघ व उद्यान भी है जो अलग-अलग शासकों ने बनाए हैं और जयपुर शहर के पर्यटन स्थल के रूप में जाने जाते हैं:-

1. कनक वृंदावन बाघ

2. जय निवास बाघ

3. विद्याधर बाघ

4. रामनिवास बाघ

5. माजी का बाघ



D) जयपुर शहर के  विभिन्न व प्रमुख मंदिर

जयपुर शहर में  किले, महलो व उघान  के साथ ही प्रमुख मन्दिर भी है जो अलग-अलग शासकों द्वारा बनाये गये मन्दिर हैं और जयपुर शहर के पर्यटन स्थल के रूप में जाने जाते हैं:-

1. गोविंद देवजी मन्दिर

2. बिड़्ला मंदिर

3. जगत शिरोमणि मन्दिर

4. रानि सती का मन्दिर

5. जैन मन्दिर

6. मोती डुंगरी मन्दिर

7. लक्ष्मी नारायण मन्दिर

यह मन्दिर हवा महल के पास है
                                     लक्ष्मी नारायण मन्दिर

यह मन्दिर जयपुर के बाजार चौक पर बडी चौपाड़ पर है यह मन्दिर स्थित है जिसमे भगवान विष्णु की प्र्तिमा स्थापित की हुई है।


C) जयपुर शहर के प्रमुख व अन्य जगह

जयपुर शहर में किले, महलो उघान व मंंदिर  के साथ ही  अन्य प्रमुख जगह है जो अलग-अलग शासकों ने व वर्तमान की सरकारो द्वारा बनाए गये  हैं और जयपुर शहर के पर्यटन स्थल के रूप में जाने जाते हैं:-

1. जंतर मंतर 

यह एक वेध शाला है जिसमें विभिन्न प्रकार के यंत्र है जिससे आकाशीय मौसम और समय की सटीक जानकारी मिलती है।( इसके बारे मे व इसका इतिहास देखे  जयपुर का जंतर मंतर )।

2. अल्बर्ट हॉल

3. स्टेचू सर्किल

4. रामगढ़ झील

5. जवाहरात

6. संग्रहालय 


जयपुर मे आने जाने के साधन

जयपुर शहर राजस्थान की राजधानी के साथ ही सबसे बडा पर्यटक शहर भी है जिसके कारण यहांं पर काफी संख्या  पर्यटक साल के 12 महिने अलग अलग कारणो से  घुमने के लिये आते है। यहा पर आप बस,रेलगाड़ी परिवहनो व मार्गो द्वारा आ सकते हो।

1. भारतीय रेलवे द्वारा  

यहां पर भारत के किसी कोने से भारतीय रेलवे के माध्यम से आ सकते हो। यहांं का  रेलवे स्टेशन जयपुर जक्सन का है।


2. भारतीय हवाई अड्डा द्वारा

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यहां पर भारत के किसी कोने से भारतीय हवाई अड्डा  के माध्यम से यहां पर आ सकते हो। यहां का हवाई अ‍ड्डा  अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा  का है।

3. भारतीय राजमार्गो द्वारा 

दिल्ली अजमेर राजमार्ग

आप यहांं पर भारतीय राजमार्गो द्वारा जयपुर के लिये घूमने के लिये आ सकते हो। जयपुर शहर दिल्ली-अजमेर मार्ग  पर स्थित है। इस मार्ग से आप अपने साधन या बस  के माध्यम से यहां के लिये जा सकते हो। 


4. जयपुर की मेट्रो व ओटो रिक्शा द्वारा

जयपुर शहर मेट्रो रेल सेवा जो मानसरोवर से चांदपोल तकहै
photo credit: jaipurtransport

दिल्ली की तरह ही यहा पर भी मेट्रो सेवाये चलती है जो की जयपुर के मानसरोवर से चांदपोल तक चलाई जाती है। आप रेलवे स्टेशन से जयपुर का बाजार चौकहवा महल, सिटी पैलेस, जन्तर मंतर आदि तक जा सकते है।  



जयपुर में ठहरने या रुकने की व्यवस्था

अगर आप जयपुर  में 2 या 3 दिन या 1 हफ्ते के लिए घूमने के प्लानिंग की हुई है तो आप यहां पर होटल में रुक सकते हैं जयपुर में भी कई ऐसे छोटे व बड़े होटल है जहां पर आप आसानी से रह सकते हैं। 



अतः दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई है जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी और आपके लिए लाभदायक होगी। और अनुरोध है कि अगर आपको जानकारी अच्छी लगी है तो आप यह जानकारी अपने दोस्तों व अन्य जगह जरूर शेयर करें🙏


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