जयपुर के हवा महल का इतिहास(History of Hawa Mahal of Jaipur)

क्या आप जानते हैं? उस जयपुर के महल का इतिहास!! जो हवा के नाम से मशहूर है जिसको हम हवामहल कहते हैं!! क्या आप जानते हैं? इस महल का नाम हवामहल ही क्यों रखा गया?? ऐसा इस महल में क्या है?? जो इस महल का नाम हवामहल पड़ा!! क्या आप जानते हैं ?? इस महल का निर्माण किसने और कब व क्यों करवाया??!. तो चलिए जानते हैं इन सभी सवालों का जवाब के लिए जयपुर का हवा महल का इतिहास  के बारे में:-

हवा महल
हवा महल के पीछे का हिस्सा

यह हवा महल कहां पर है

हवा महल भारत के राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर की पिंक सिटी के जे.डी.ए. मार्केट की बड़ी चौपड़ में हवा महल रोड पर स्थित है।

हवा महल का इतिहास

आज के वर्तमान समय में जिस प्रसिद्ध हवा महल को देखने के लिए भारत के दूर-दूर हिस्से से लेकर विदेशों तक के पर्यटक देखने आते हैं उसका इतिहास मध्यकालीन में महाराजा सवाई प्रताप सिंह के समय का है जोकि उस समय महाराजा ने यह महल अपनी महारानीयों के लिए बनवाया गया था। उस समय यह महल सिटी पैलेस का ही हिस्सा था और यहां पर मेहमानों के लिए ठहरने की व्यवस्था होती थीI आज के समय में यह महल के साथ ही जयपुर का पर्यटक स्थल है।

इस महल का निर्माण कब व किसने और क्यों करवाया

जयपुर के हवामहल का निर्माण जयपुर के राजा सवाई प्रताप सिंह ने अपने शासनकाल(1778-1803) के दौरान सन 1799 में इस महल का निर्माण करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण गर्मियों के समय में ताजा व खुली हवा प्राप्त करने तथा गर्मी से राहत पाने के लिए करवाया गया था क्योंकि यहां का तापमान बहुत अधिक होता है और इसके साथ ही इस महल की कोई नीव नहीं है। हवा महल राजपूतों और मुगल कलाओं की शैली से निर्मित है

इस महल में छोटी-छोटी कई खिड़कियां बनाने का कारण यह था कि महारानियां उस समय पर्दा प्रथा के कारण बाहर नहीं देख सकती थी, जिससे इन खिड़कियों के द्वारा महारानियां व राजघराने की महिलाये  बाहर  स्थित रोड पर आने जाने वालों को व समारोह और रोजमरा की जिंदगी की गतिविधियों को देख सकें।

महल का रंग रूप व आकार

हवा महल का रंग रूप कुछ गुलाबी और कुछ लाल है। पांच मंजिला हवामहल को जब आप सिरहड्योड़ी बाजार या चौपड़ बाजार में खड़े होकर देखने से आपको यह भगवान श्री कृष्ण की मुकुट के जैसा दिखाई देगा जैसा कि महाराजा सवाई प्रताप सिंह बनवाना चाहते थे।
गुलाबी व पीले रंगों में राजशाही मुकुट के समान



इस महल का आकार पांच मंजिला स्मारक है व दिखने में आपको बिल्कुल भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के समान लगेगी। पिरामिड आकृति में बने इस हवा महल का  मुख्य आधार से ऊंचाई 87 फीट 26 मीटर ऊंचा है। इस हवा महल में 953 खिड़कियों बनी हुई हैं जो बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार के रूप में बनी हुई है जिन्हें झरोखा कहते हैं। बाहर से दिखने में यह मधुमक्खी के छत्ते के समान है।
शिलालेख पर हवा महल के बारे

यह हवा महल 5 मंजिला इमारत में प्रथम तल पर शरद ऋतु बनाए जाते थे। हवा महल की दो मंजिलें गलियारों और कक्षों से जुड़ी हुई है। दूसरी मंजिल रत्नों से सजे होने के कारण के काम से सजी हैं इसलिए इसे रतन मंदिर कहते हैं। हवा महल के तीसरी मंजिल में राजा अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण की पूजा थे।
हवा महल
हवा महल का मुकुट व अंदर से दृश्य आकृति


इस हवामहल के चौथी मंजिल में प्रकाश  मंदिर है। और पांचवी मंजिल में हवा मंदिर है जिसके कारण इस भवन को हवा महल कहा जाता है।

इस महल का निर्माण चूने, लाल, और गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित किया गया है।



इस हवा महल के वास्तुकार उस्ताद लालचंद थे


हवा महल के पहले से पांचवी मंजिल तक का विवरण

हवा महल में मुख्य दो दरवाजे है जो कि एक प्रवेश द्वार जिसको आनंदपोलि कहा जाता है और दूसरा निकासी द्वार है जो गलियारों से भरा हुआ है जिसको चंद्रपोली के नाम से जाना जाता है। इस महल में प्रवेश के बाद आपको मुख्य चौक में एक हाॅज मिलेगा जिसमें फुव्वारे लगे हैं और जिसके कारण यह और भी सुंदर लगता है।

पहली मंजिल व फुव्वारा



पहली मंजिल

हवा महल की पहली मंजिल को शरद महल के नाम से जाना जाता है क्योंकि पहली मंजिल के कक्ष में शरद मंदिर है। जो कि फव्वारे  के ठीक सामने हैं। इस पहली मंजिल के कक्ष में दाहिनी ओर महाराजा का कक्ष बना हुआ है । बाई ओर भोजनालय कक्ष बना हुआ है इसी तरह पुरातत्व संग्रहालय भी बना हुआ है। जिसमें विभिन्न चित्र नृत्य देवी देवताओं और महाराजा व महारानियों के बने हुए हैं।और यही पर हवामहल से सिटी पैलेस तक  जाने का मार्ग बना हुआ है जहां से राज परिवार की महिलाएं तीज गणगौर की सवारी देखने के लिए हवामहल आती थी।

दूसरी मंजिल

हवा महल की पहली मंजिल से गलियारों रैम्प द्वारा दूसरी मंजिल में प्रवेश करने पर आपको पीलेगुलाबी रंग के कक्ष दिखाई देंगे। इस दूसरी मंजिल में रतन मंदिर बना हुआ है जिसके कारण इसको रतन महल कहते हैं। यह गलियारे आकार में निर्मत  है। इसमें बाय हिस्से में छोटे-छटे कक्ष के आकार में बने हुए मिलेंगे और दीवार में छोटी-छोटी खिड़कियां खानेदार आकार में दिखाई देंगे जिससे आप रोड का नजारा देख सकते हो। इस मंजिल के दाएं हिस्से में भूल भुलैया कक्ष बने हुए हैं और इधर भी दीवार में छोटे-छोटे खानेदार खिड़कियां बनी हुई है। 

गुंबद आकार में आंगन

और इसी में ही आपको इस्लामिक मुगल वस्तु शैली से निर्मित गुंबद के आकार में आंगन मिलेंगे। जोकि गुलाबी पीले रंगों से निर्मित है। जोकि विश्राम स्थल के लिए कहे जाते हैं।

तीसरी मंजिल

भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के समान हवा महल
तीसरी चौथी और पांचवी मंजिल और जालीदार खिड़की


रतन मंदिर से ही दूसरी मंजिल में गलियारे व रेम्प के द्वारा तीसरी मंजिल में प्रवेश के लिए रास्ता है। तीसरी मंजिल  में गुलाबी रंगों से निर्मित विचित्र मंदिर है। तीसरी चौथी पांचवी मंजिल तीनों मिलाकर एक कक्ष के समान और गलियारों की तरह है।तीनों मंजिलें को गुलाबी रंगों से निर्मित किया गया है। इस खिड़कियों में रंग-बरंगे शीशे  लगे हुए हैं।
तीसरी, चौथी मंजिल पर जालीदार खिड़कियां


चौथी मंजिल

तीसरी मंजिल के पास हवामहल में चौथी मंजिल आती है जिसमें प्रकाश मंदिर है और इसको प्रकाश महल के नाम से भी जाना जाता है यह मंजिल भी गुलाबी रंग से निर्मित है और खिड़कियों में रंग-बिरंगे शीशे  लगे हुए है। 

हवा महल
तीसरी, चौथी व पांचवीं मंजिल में  गलिया

चौथी मंजिल में दोनों तरफ गलियारे की तरह गली बनाई हुई है जो आने जाने के लिए रास्ते का काम करते हैं इस चौथी मंजिल में सूर्य से प्रकाश निकलने पर रोशनी सीधा यहां पर पड़ती है। 


पांचवी मंजिल

यह हवा महल का सबसे आखरी मंजिल पाचवी है जिसके कारण इसको हवा महल कहा जाता है।
पांचवी मंजिल से बाजार चौक व महल के नीचे तक का दृश्य 

चौथी मंजिल के गलियां में रेंम्प द्वारा पांचवी मंजिल में प्रवेश करने पर इस महल के सबसे ऊंचे हिस्से पर और इस महल की आखिरी मंजिल को हवा महल कहा जाता है क्योंकि यहां पर हवा मंदिर है और इस मंजिल पर हवा को भी आप महसूस कर सकते है जोकि महाराजा सवाई प्रतापसिंह के समय यहां पर महारानी और राजा व मेहमानों द्वारा यहां की हवा का आनंद लेते थे।और यहां से पूरे बाजार को देखा जाता है।इस मंजिल से आप इस महल के नीचे तक का नजारा देख सकते हो और बाजार चौक को भी देखा जा सकता है।


हवा महल के कुछ रोचक व महत्वपूर्ण बातें

हवा महल वर्तमान समय में एक प्रसिद्ध स्थल है और क्योंकि यह एक ऐतिहासिक स्थल है और इसमें कुछ रोचक व महत्वपूर्ण बातें हैं जिसको  एक प्रसिद्ध स्थल के रूप में जाना जाता है:-
  1. जयपुर का हवामहल की कोई नीव नहीं है जैसा बाकी महलों में होता है और घरों में नीव पर नहीं बनाये जाते है लेकिन यहां पर कोई भी ऐसी नींव नहीं बनाई गई है।
  2. बिना किसी नींव/आधार  होने के कारण, यह दुनिया का सबसे बड़ा हवा महल है।
  3. इस महल में ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियां नहीं है। इसमें ढलान  जैसे रेम्प बनाए हुए हैं।
  4. इस हवा महल का निर्माण सन 1799 में किया गया था।
  5. इस महल के वास्तुकार उस्ताद लालचंद थे। जिन्होंने इस महल का डिजाइन व निर्माण किया। उस्ताद लालचंद के साथ लगभग 200 कारीगर भी इस महल के निर्माण में कार्यरत थे।
  6. इस महल का निर्माण राजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था।
  7. यह मुगल और राजपूत शैलियों से निर्मित है
  8. यह महल दो द्वार के साथ 5 मंजिला इमारत में बनाया गया है।
  9. इस महल के दो द्वार गेट आनंपोली व चंदपोली है।
  10. इस महल की 5 मंजिला इमारत है शरद महल,रतनमहल,विचित्र महल, प्रकाश महल और आखरी मंजिल हवा महल है।
  11. इस महल में कुल 953 छोटे-छोटे झरोखे/खिड़कियां है।
  12. इसकी कुल लंबाई 87 फीट व 26 मीटर ऊंची है।
  13. इस महल के ऊपर की तीन मंजिल में चौड़ाई 1.5 मीटर ही रह जाती है। जोकि  एक गलियारे के समान है।
  14. इसकी तीन मंजिल एक कमरे के समान है और भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के समान भी हैं।
  15. बाहर से यह एक मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखता है।
  16. इस महल को गुलाबी व पीले रंगों से सजाया गया है।
  17. यह महल सिटी पैलेस के पास ही बनाया गया है और इस महल से एक रास्ता सिटी पैलेस के लिए भी जाता है। जो कि पहले के समय महाराजा अपने और महारानीयों के लिए प्रयोग किया करते थे।
  18. इस महल को पैलेस ऑफ विंड्स(Palace of Winds) के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसकी जालीनुमा खिड़कियां से हमेशा ठंडी हवा आती है।

इस महल की देख-रखाव व मरम्मत

इस महल की देखरेख वर्तमान में भारत के राज्य राजस्थान की सरकार का पुरातत्व विभाग करता है। और मरम्मत से संबंधित यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के साथ कुछ राजघराने ने भी  जिम्मेदारी उठाई है। इस महल की आखिरी मरम्मत व नवीनीकरण कार्य 50 साल बाद सन 2006 में की गई थी जिसमें अनुमानित लागत 45681 लाख रुपए आई थी।

हवा महल का प्रवेश शुल्क

भारतीयों के लिए                  :-  ₹50/-

भारतीय विद्यार्थियों के लिए    :- ₹20/-

विदेशियों के लिए                 :- ₹200/-

विदेशी विद्यार्थियों के लिए     :-  ₹100/-



हवा महल  के लिए यातायात साधन

हवा महल के लिये आप आपने साधन और कार, बस, रेल, व हवाई जहाज से भी यहाँ आ सकते हो। और आप जयपुर से हवामहल के लिये ऑटो रिक्शा व मैंट्रो से आ सकते हो।

1. रेल के माध्यम से

आप भारतीय रेल के माध्यम से भारत के किसी भी हिस्से से जयपुर आ सकते  हो। यहां का नियर रेलवे स्टेशन जयपुर है। जयपुर रेलवे स्टेशन से मेट्रो व ऑटो रिक्शा आदि से हवा महल तक पहुंच सकते हो। यहाँ का मेट्रो स्टेशन बड़ी चौपाड़ है


2. हवाई जहाज के माध्यम  से

आप हवाई जहाज के माध्यम से भारत के किसी भी कोने में विदेश से यहां पर आ सकते हो।यहाँ  का नियर हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां से फिर आप ओटो व रिक्शा के माध्यम से हवा महल आ सकते हो।


3. बस व रोड के माध्यम से

आप जयपुर में हवा महल अपने साधन और बस के माध्यम से यहां पर आ सकते हो। यह दिल्ली जयपुर अजमेर जयपुर मार्ग पर स्थित है। इसके लिए आप गूगल मैप की सहायता ले सकते हो।


जयपुर मे हवा महल से अलग  घुमने की जगह

जयपुर में आपको काफी   प्रसिध्द स्थल मिलेंगे जिसमे आप  3-4 दिन तक आराम से घुम सकते हो और जयपुर का आंनन्द ले सकते हो। जयपुर मे हवा महल से अलग भी कई ऐसे स्थल  है जो आपने आप मे एक एतिहासिक और प्रसिध्द माने जाते है:‌

1. जयपुर का जंतर मंतर:  इसका इतिहास देखे(जयपुर का जंतर मंतर का इतिहास    
2. जयपुर का जल महल
3. जयपुर म्यूजियम
4. सिटी गेट
5. बिरला मंदिर
6. सिटी प्लेस 
7. मुबारक महल 
8. चंद्र महल 
9. सिसोदिया गार्डन
10. रामबाग पैलेस
11. आमेर किला 
12. जयगढ़ का किला
13. शीला देवी मंदिर

दोस्त आशा करता हूं आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। आप इस जानकारी को अपने दोस्तों और अपने चाहने वालों को जरूर से करें


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